ड्रोन दीदी योजना : ड्रोन की उड़ान से ग्रामीण महिलाओं को लगे कामयाबी के पंख, बनीं आत्मनिर्भर
ड्रोन दीदी योजना ने ग्रामीण महिलाओं के जीवन में आत्मनिर्भरता की नई राह खोली है। ड्रोन पायलट बनीं महिलाएं खेती-बाड़ी में ड्रोन के उपयोग से स्थायी आमदनी अर्जित कर रही हैं।
ड्रोन का खेतीबाड़ी में उपयोग करने किसानों को सहूलियत हो रही है, दूसरी तरफ ड्रोन पायलट दीदी की जिंदगी में भी बदलाव हो रहा है। केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई ड्रोन दीदी योजना के जरिये ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आमदनी का एक नया जरिया मिल गया है। बठिंडा जिले में चार ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने ड्रोन पायलट बनकर आत्मनिर्भर बनने की तरफ कदम बढ़ाया है। बठिंडा जिले के गांव कटार सिंहवाला की मीना रानी, गांव दियालपुरा भाईका की जसवीर कौर, गांव यात्री की मुखजिंदर कौर तथा गांव चड्डेवाला की अमनजोत कौर किसान परिवारों से आती हैं। इन सभी महिलाओं ने अलग-अलग ड्रोन फ्लाइंग एकेडमी से ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग ली है। ट्रेनिंग के दौरान महिलाओं को ड्रोन उड़ाना, रिपेयर करना, रख-रखाव आदि का प्रशिक्षण दिया गया है। ट्रेनिंग के बाद अब इन्हें ड्रोन दीदी का नाम दिया गया है।
ड्रोन तकनीक के बढ़ते उपयोग ने न केवल खेती-बाड़ी को अधिक सुलभ बना दिया है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के जीवन में भी एक सकारात्मक बदलाव लाया है। केंद्र सरकार की ड्रोन दीदी योजना के तहत, कई ग्रामीण महिलाओं ने ड्रोन पायलट बनने का साहसिक कदम उठाया है, जिससे उन्हें एक स्थायी आमदनी का जरिया मिला है। बठिंडा जिले में चार ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने ड्रोन पायलट बनकर अपनी पहचान बनाई है। ये महिलाएं न केवल अपने परिवार की मदद कर रही हैं बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन रही हैं।
मीना रानी: सफलता की उड़ान
गांव कटार सिंहवाला की 38 वर्षीय मीना रानी ने मानेसर, गुड़गांव से 15 दिन की ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग प्राप्त की। मई 2024 में उन्हें इफको कंपनी द्वारा ड्रोन उपलब्ध कराया गया, जिसकी मदद से वे खेतों में नैनो यूरिया और डीएपी का छिड़काव कर रही हैं। मीना रानी ने बताया कि पिछले तीन महीनों में उन्होंने 100 से ज्यादा किसानों के खेतों में छिड़काव किया है और इससे उन्हें करीब 20 से 25 हजार रुपये की आमदनी हुई है। मीना ने कहा, “ड्रोन की ट्रेनिंग लेने के बाद मेरी जिंदगी में काफी बदलाव आया है। इससे न केवल मुझे आर्थिक मदद मिली है बल्कि मेरी आत्मनिर्भरता भी बढ़ी है।”
सुखजिंदर कौर: मौसम की मार
गांव यात्री की 36 वर्षीय सुखजिंदर कौर, जो दसवीं पास हैं, ने जनवरी माह में मंगलम यूनिवर्सिटी गुड़गांव से चार दिन की ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग ली। वे सैल्फ हेल्प ग्रुप की मेंबर हैं और उनके पति जगदेव सिंह खेतीबाड़ी करते हैं। हालांकि, सुखजिंदर कौर के ड्रोन के साथ कुछ तकनीकी समस्याएं आईं, जिसके कारण उनका काम रुका हुआ है। उन्होंने कहा, “दो महीने पहले मौसम खराब होने के कारण मेरा ड्रोन क्रैश हो गया। मैंने कंपनी को मेल भेजी है, लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है।”
जसबीर कौर: तकनीकी चुनौतियों का सामना
गांव दियालपुरा भाईका की 39 वर्षीय जसबीर कौर, जिन्होंने एमए, बीएड की शिक्षा प्राप्त की है, ने एनएफएल के माध्यम से ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग ली। लेकिन ड्रोन में तकनीकी खराबी और बैटरी बैकअप अच्छा न होने के कारण वे इसे इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं। जसबीर ने बताया, “ड्रोन में आई खराबी के कारण पिछले दो महीने से मैं इसे इस्तेमाल नहीं कर पा रही हूँ। कंपनी को इस समस्या के बारे में जानकारी दी है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं मिला है।”
ड्रोन दीदी योजना की सफलता
ड्रोन दीदी योजना के तहत, इन महिलाओं को ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग के साथ-साथ ड्रोन की देखभाल और मरम्मत का भी प्रशिक्षण दिया गया है। इससे वे न केवल अपनी आमदनी बढ़ा रही हैं बल्कि ड्रोन की तकनीक को भी समझ रही हैं। इफको कंपनी द्वारा दिए गए ड्रोन में बैटरी चार्जिंग के लिए जेनरेटर और ई-रिक्शा की सुविधा भी दी गई है, जिससे इनकी काम करने की क्षमता बढ़ी है। इस प्रकार, ड्रोन दीदी योजना ने ग्रामीण महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता की राह आसान कर दी है।